Saturday, 14 October 2017

आदिवासी महोत्सव अस्तंबा यात्रा :: ता - धडगांव (अक्राणी) जी- नंदुरबार महाराष्ट्र।

 *आदिवासी महोत्सव अस्तंबा यात्रा*
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*अश्वत्थामा यात्रा/दिपावली का अभिनंदन*
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 *स्थल*
गाँव - अष्टंभा (सातपुडांचल पहाड़ी)
ता - धडगांव (अक्राणी)
जी- नंदुरबार महाराष्ट्र।
 *तारीख*
*17.10.2017(धनत्रयोदशी)*
 *यात्रा की विशेषता* 
विश्व की एकमात्र आदिवासी महामहोत्सव अस्तंबा यात्रा।
 *यात्रा पूर्वी तपस्या* 
सवा महिना या तिन महिने तथा कुछ लोग तो पूरे साल की तपस्या करके अस्तंबा यात्रा में जाते है। तपस्या में खुद ही खाना बनाकर खाना, गांव के बहार रेहना, ब्रह्मचर्य का पालन करना, खटिया, खुर्शी या चौपाई पर न बैठना, मांस न खाना, शराब न पीना, शास्त्र अध्ययन करना, कीर्तन भजन करना ईत्यादी धार्मिक नियमों का आदिवासी लोग गंभीरता से पालन करके अस्तंबा यात्रा के लिए अलग अलग गांवों से समूह में जाते है।
 *यात्रा की पुंजा का समय*
कार्तिक मास के अकादशी से लेकर बारस, तेरस (धनत्रयोदशी)को मुख्य पुंजा तथा चौदस और दिपावली को भी कई लोग पुंजा विधी करते है। ध्वज *(सफेद नहीं भगवा रंग का ध्वज चडाते है, ब्रह्मचारी है, अश्वत्थामा ईसलिए)* नारियल, शिंधुर, ध्वज, घी-तेल तथा अगरबत्ती चढाई जाती है।
 *उपस्थित भक्तगण* 
पहले यह यात्रा ईतनी प्रख्यात नहीं थी पर अब पूरे विश्व में विश्व की एकमात्र अस्तंबा यात्रा के रूप में यह आदिवासी महामहोत्सव अस्तंबा यात्रा प्रख्यात हो गई है।
 *यात्रा का महत्व* 
यात्रा का मुख्य उद्देश्य है भगवान का गुणगान करना। अश्‍वत्थामा महाभारत के युद्ध के बाद ईसी सातपुडांचल की पहाड़ियों में होने के कई प्रमाण मिलते है। यह यात्रा कई हजारों सालों से स्थानीय आदिवासियों का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है। जहां गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश से भी लोग अस्तंबा यात्रा करने आते है।
 *यात्रा की श्रद्धा* 
आदिवासी लोगों की मान्यता के अनुसार अस्तंबा रुषी ईसी पहाडियों में घूमते रहते है। भगवान श्रीकृष्ण की तपस्या करते है कहा जाता है श्राप से मुक्ति के लिए! यह यात्रा करने से अच्छे स्वास्थ्य, लंबी उम्र, अपने परिवार के सदस्यों तथा पशु-पक्षीयों के लिए सुख, शांति, तथा शिवजी और भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति की प्राप्ति होती है। लोगों की श्रद्धा दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है। हर साल यात्रीयों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।
 *अस्तंबा यात्रा का भविष्य* 
यह यात्रा आदिवासीयों द्वारा हजारो सालो से मनाई जा रही है। अब यह यात्रा विश्व की एकमात्र आदिवासी महामहोत्सव अस्तंबा यात्रा के रूप में प्रख्यात हो गई है। भविष्य में पहाड़ी पर चढने के लिए स्टेप्स तथा मंदिर और धर्मशाला बनाने का आयोजन भी है। जहाँ गरीब आदिवासीयों को रोजगारी भी मिलेगी। श्रद्धा स्थल का प्रचार तथा विकास भी होगा |
🔴 *दु:ख/प्रशासन से मदद का अनुरोध* 🔴
दुख ईस बात का है कि ईतना महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान होनें के बाद भी प्रशासन को ईस यात्रा श्थल के विकास में कोई रूचि नहीं। कृपया प्रशासन ध्यान दें।

 *सभीको आदिवासी महामहोत्सव अस्तंबा यात्रा का अभिनंदन* 
📢 *तांबारूषी महाराज की जय।*
📢 *भीमकुंड की जय।*
📢 *नोकट्यादेव (पांच पांडवों में से एक *नकुल) की जय।*
📢 *बडे़ बड़े पहाडों में रहनेवाले बाबा की जय।*
📢 *दौअडों (नाडो) टाकीन खेचि लेजे बाबा की जय।*

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बडे़ बड़े पहाडों में रहनेवाले बाबा की जय।*
*तांबारूषी महाराज की जय।*
*तांबारूषी महाराज की जय।*

*तांबारूषी महाराज की जय।*

*दौअडों (नाडो) टाकीन खेचि लेजे बाबा की जय।*

*दौअडों (नाडो) टाकीन खेचि लेजे बाबा की जय।*



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